एक कहानी – मुझे पता नहीं मेरा जन्म के समय क्या हुआ, मै जब पांच साल का हुआ तो मेरे पिता जी स्कूल में भर्ती किये, मै रोजाना पढने जाता, सभी दोस्तों के साथ घुमने जाते घूमते फिरते, मै जब आठवी में पड़ा तो न जाति न धर्म, और गोत्र किसी का ज्ञान नहीं था, जब मैंने दसवी पढना शुरु किया तो मुझे मेरे उपनाम सर नेम के बारे में जानकारी हुआ, लेकिन सिर्फ मेरा, इसी तरह से आगे पढ़ते गए बारहवी भी हो गया, धीरे-धीरे मुझे जाति गोत्र धर्म का ज्ञान हुआ, यह बहुत छोटा सा गाँव था, करीब हजार की जनसंख्या का, कुछ होता तो लोग कहते थे, हम क्षत्रिय है, और बल लगाकर सभी सामाजिक कार्य करते, फिर जब मै कॉलेज जाने लगा, और न्यूज़ और कर्म काठ के बारे में जानकारी हुई मैं बचपन से धर्म गीता ग्रन्थ, रामायण पड़ने में आगे रहा, सभी देवता और देवियों की पूजा करने में अव्वल रहा, फिर एक दिन समय आया, जब मैंने बाबा साहेब आंबेडकर के बारे में पढ़ा और मुझे ज्ञात हुआ, की शुद्र कौन थे, और अभी किस जाति को माना जाता है, मैंने मनुवाद की पुस्तके पढ़ी , समझ आया की मामला क्या है,
गाँव में पहले से इस तरह का मौहोल था, की कोई दुसरे जाति के यहाँ खाना खाने नहीं जाया करते थे, पर बचपन से इसकी आदत लग गई थी बचपन की,
मैंने समझा जाना इसका कारन क्या है ,
मुझे पता चला की मेरी जाति को शुद्र में गिना जाता है, और वह गाँव के लोग सभी क्षत्रिय का दम भरने वाले शुद्र निकले, मेरे गाँव में पूरी जनसंख्या शुद्र निकली, और मै दलित निकला, मैंने जाना की दलित कौन है, और कैसे बने,
समय आ गया है, अपने आप को जानो, कही आप भी दलित तो नहीं,
अगर आप दलित है बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की किताबे पढ़े,
- योगेन्द्र धिरहे
गाँव में पहले से इस तरह का मौहोल था, की कोई दुसरे जाति के यहाँ खाना खाने नहीं जाया करते थे, पर बचपन से इसकी आदत लग गई थी बचपन की,
मैंने समझा जाना इसका कारन क्या है ,
मुझे पता चला की मेरी जाति को शुद्र में गिना जाता है, और वह गाँव के लोग सभी क्षत्रिय का दम भरने वाले शुद्र निकले, मेरे गाँव में पूरी जनसंख्या शुद्र निकली, और मै दलित निकला, मैंने जाना की दलित कौन है, और कैसे बने,
समय आ गया है, अपने आप को जानो, कही आप भी दलित तो नहीं,
अगर आप दलित है बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की किताबे पढ़े,
- योगेन्द्र धिरहे
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